ना जाने क्यूँ रूठी हूं मैं, हर जगह से टूटी हूं मैं ! ना जाने क्यूँ रूठी हूं मैं, हर जगह से टूटी हूं मैं !
अनजानी सड़को पर यूँ ही घूमना अच्छा लगता है बिना वज़ह ,बस यूँ ही ! अनजानी सड़को पर यूँ ही घूमना अच्छा लगता है बिना वज़ह ,बस यूँ ही !
पुरानी मान्यताएं जो चली आ रही हैं, उन्हें हम तोड़ नहीं पाते, जिसकी वजह से कई सवाल मन में उमड़ते हैं प... पुरानी मान्यताएं जो चली आ रही हैं, उन्हें हम तोड़ नहीं पाते, जिसकी वजह से कई सवा...
तू फिर खुदा ही क्यूँ हैं तू फिर खुदा ही क्यूँ हैं
प्रीत क्यों हारती? घाव क्यों पालती? दे रही यंत्रणा , शून्य है मंत्रणा ।। प्रीत क्यों हारती? घाव क्यों पालती? दे रही यंत्रणा , शून्य है मंत्रणा...
जाने क्यों.... जाने क्यों....